ट्रैफिक सिग्नल लाइटें

हम सभी को यह बचपन से ही सिखाया जाता रहा है कि (ट्रैफिक सिग्नल लाइटें) लाल रंग का मतलब खतरा और हरे रंग का मतलब सुरक्षा से है केवल ट्रैफिक लाइट में ही इन रंगों का प्रयोग नहीं होता है बल्कि बहुत सारे गतिविधियों में भी इन रंगों का प्रयोग किया जाता है आइए जानते हैं हम ट्रैफिक के लिए इन तीन रंगों को ही क्यों चुना गया और दूसरे रंगों को प्राथमिकता क्यों नहीं दी गई

पूरे विश्व भर में सबसे पहले अमेरिका में ट्रैफिक लाइट लगाई गई थी

  • 1920 के दशक में अमेरिका के सड़कों पर यात्रियों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए ट्रैफिक सिग्नल लाइटें को लगाई गई थी ताकि दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सके और लोगों को सुरक्षा दी जा सके उस समय अमेरिका के अधिकारियों ने ड्राइवरों को संकेत देने के लिए सिटी और लाल हरी और पीली बत्तियों का उपयोग करते हुए एक बड़े से टावर पर उन्हें यह बताते थे कि आपको किस रंग पर  रुकना है और किस रंग पर जाना है
  • 1990 में विलियम पोर्ट्स ने पहला ट्रैफिक सिग्नल बनाया जिससे ड्राइवरों को चौराहे पर सुरक्षित रहने में मदद मिलने लगी मिशीगन के डेटरोयट में वुडवर्ड एवेन्यू और फोरट स्ट्रीट में सबसे पहले चौराहे पर ट्रैफिक लाइट को लगाई गई
  • उस समय इन ट्रैफिक सिग्नल को समझने में ड्राइवरों को थोड़ी समस्याएं होती थी बाद में इन समस्याओं को दूर करने के लिए एक समान मानक निर्धारित किए गए जिसके लिए सभी को लाल रंग का उपयोग रुकने के लिए और हरे रंग का उपयोग आगे की ओर बढ़ने के लिए किया जाने लगा

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इन रंगों के पीछे का इतिहास आखिर क्या है

 

  • पहले के समय में ट्रेनों के लिए ट्रैफिक सिग्नल लाइटें का इस्तेमाल किया जाता था उस समय रेल कंपनियां लाल रंग का मतलब ठहरना और सफेद रंग का मतलब आगे की ओर बढ़ना के लिए और हरे रंग का मतलब सावधानी के लिए इस्तेमाल किया करती थी
  • मगर ट्रेन में बैठे चालकों को सफेद रंग को पहचानने में कुछ समस्याएं होती थी इन समस्याओं को देखते हुए रेलवे कंपनियों ने अंततः सफेद रंग के जगह पर हरे रंग कोआगे की ओर बढ़ने के लिए चुन लिया और पीला को यह संकेत देने के लिए मानक बनाया गया कि ट्रेनों को सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए तब से लेकर आज तक लाल रंग रुकने हरा रंग आगे बढ़ने और पीला रंग सावधानी से आगे बढ़ने का चिन्ह है
  • जापान देश को छोड़कर बाकी सभी देशों में आपको ट्रैफिक लाइटें एक जैसे ही देखने को मिलती है.
  • ट्रैफिक सिग्नल की लाइटें लाल पीले और हरे रंग की क्यों होती है

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ठहरने के लिए लाल रंग को ही क्यों चुना गया

 

  • हम सभी जानते हैं कि (ट्रैफिक सिग्नल लाइटें) लाल रंग का तरंग धैर्य सबसे अधिक होता है  साफ-साफ यह मतलब होता है कि इसे अधिक दूरी से भी आसानी से देखा जा सकता है जबकि दूसरे रंगों की तरंग धैर्य लाल की अपेक्षा कम होती है और उसे दूर से देखने में थोड़ी परेशानी भी होती है
  • वहीं पीले रंग की तरंग धैर्य लाल की तुलना में थोड़ी कम होती है इसका यह मतलब हुआ कि लाल के बाद पीला सबसे दूर से दिखाई देने वाला रंग है इसीलिए उसे सावधानी से आगे बढ़ते हुए रंग को दर्शाने के लिए चुना गया
  • वहीं अगर हरे रंग की बात करें तो इसकी तरंग धैर्य  कम होती है जो कि बहुत ही नजदीक से दिखाई देती है इसीलिए हरे रंग को आगे बढ़ने के लिए चुना गया ताकि दुर्घटनाओं को कम किया जा सके
  • 1900 के दशक में कुछ जगहों पर पीले रंग को रुकने के लिए इस्तेमाल किया जाता था मगर जब खराब रोशनी हो जाती थी या मौसमों की खराबी होती थी तो इस पीले रंग को
  • (ट्रैफिक सिग्नल लाइटें)
  • देखने में बहुत परेशानी होती थी तो इसे बाद में बदल कर लाल रंग कर दिया गया और पीले रंग को स्कूल क्षेत्र और कुछ यातायात के संकेत स्कूल बसों के लिए मानक बनाया गया

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