labour day :- आज हम आपको labour day से जुड़ी बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी देने वाले हैं कहते हैं न मैं मजदूर हूं,
मजबूर नहीं , मुझे शर्म नहीं आती, मैं मेहनत से खाता हूं , मिट्टी को सोना बनाता हूं । तो आइए जानते हैं labour day यानी मजदूर दिवस क्यों मनाते हैं?
मजदूर दिवस ( labour day) हम क्यों मनाते हैं ?
मजदूर दिवस भारत में पहली बार 1 मई 1923 को चेन्नई में मनाया गया। जिसमें इतने मजदूरों के अधिकार पर अधिक जोर दिया गया। समान कार्य के लिए समान वेतन चाहे वह स्त्री हो या पुरुष । जिसमें दिन के 8 घंटे काम करेंगे। सप्ताह में 1 दिन का छुट्टी भी होना चाहिए । खासकर हर वर्ष 1 मई labour day को छुट्टी होनी चाहिए। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39 के डी में वर्णित किया गया समान कार्य के लिए समान वेतन मिलें चाहे वह स्त्री हो या पुरुष हो।
क्या आपको पता है लोग मजदूरी क्यों करते हैं ?
आज हमारे भारतीय समाज में बहुत से ऐसे भी परिवार है जिन्हें दो वक्त की रोटी के लिए वह से मोहताज हैं। इसका मुख्य कारण गरीबी है। गरीबी एक अभिशाप है ,जो उम्र का लिहाज भी नहीं करती । बड़ी बेशर्म होती है यह गरीबी ।
इस पर सरकार को तुरंत कोई पहल करनी चाहिए जब तक इन गरीबों का विकास नहीं होगा तब तक हमारे इस प्यारे देश भारत में लोकतंत्र की पूर्ण रूप से स्थापना नहीं हो सकती अगर हमें गरीबी मिटाना है तो हमें शिक्षित होना अनिवार्य है सफलता कभी 1 दिन में नहीं मिलती।
मजदूरों को इतना मजदूरी देना चाहिए जिससे कि वह अपने परिवार का भरण पोषण कर सकें। जिसमें रीटी कपड़ा मकान स्वास्थ्य शिक्षा मनोरंजनआदि काध्यान उस वेतन से रख सके। उस वेतन से अपना कार्य कर सकें इतना वेतन मजदूर को देना चाहिए।
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भारतीय मजदूर दिवस के संस्थापक कौन थे?
लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान ने की थी । मजदूर लोग शारीरिक मेहनती होते हैं किसी भी काम को देखकर घबराते नहीं जब दशरथ मांझी ने छेनी और हथौड़े से पत्थर को काटकर सड़क बना दिए । वह भी एक मजदूर थे।जो उनकी प्रेम की कहानी के नाम से वह जाना जाता है। शाहजहां का ताजमहल वैसे दशरथ माझी का यह सड़क उनकी कर्म पाठ के नाम से जाना जाता है ।
मजदूर दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य क्या हैं ?
मजदूर दिवस (labour day) से हमारा तात्पर्य यह है कि मजदूरों को उनके अधिकारों को समर्पित करना है। 1 मई को मनाने का मुख्य कारण मजदूरों की मानवीय दशा को समझना और उनके अधिकारों को समझना।
ईस दिन को मनाने की शुरुआत अमेरिका के महान श्रमिक नेता सैमुअल game pars द्वारा 1880 में श्रमिक संघ के साथ मिलकर उत्सव का आयोजन किया जिसमें श्रमिकों का खास तौर पर स्वागत किया गया इस आयोजन में उपस्थित सभी श्रमिकों में क्रांतिकारी जोश उत्पन्न की।
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मजदूर दिवस की थीम (Theme) क्या है?
2023 में मजदूर दिवस का थीम है कि सकारात्मक सुरक्षा और स्वास्थ्य संस्कृति का निर्माण इस बिंदु पर पहल की जाएगी जब तक की 2024 का अगला labour day नहीं आता | आइए अब हम मजदूरों के सम्मान के बारे में जानते हैं।
हम लोग तो यह जान चुके हैं क्या labour day क्यों मनाते हैं। इसका कारण क्या है ? इसका उद्देश्य क्या है? लेकिन हमें यह भी तो जानना आवश्यक है कि मजदूर दिवस मनाते तो हम हैं ,लेकिन इसमें किन-किन बातों को ध्यान दिया जाता है । और इसमें मजदूरों के प्रति सहनशीलता की भावनाएं कब दिखाई जाती हैं।और किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
- अगर आपके घर कोई मजदूर काम करने आता है तो उसे हे दृष्टि से नहीं देखनी चाहिए।
- श्रमिक दिवस का इतिहास और उत्पत्ति अलग-अलग देशों के अलग-अलग है।
- गरीबी होना कोई पाप नहीं हैं।कभी भी कोई भी गरीब या अमीर हो सकता है, यह बस समय का चक्र है।
- अधिकांश देशों में 1 मई अवकाश का दिन है।
- मजदूर दिवस उन श्रमिकों के लिए अधिक महत्वपूर्ण है, जिन्होंने अधिक लंबी लड़ाई के बाद अपना अधिकार प्राप्त किया।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजदूर दिवस बड़े ही धूमधाम और उत्सव के साथ मनाया जाता है।
- मजदूर दिवस बड़े पूंजीपतियों द्वारा शोषण मुक्तिहैं।
मजदूर दिवस के अवसर पर कुछ कविताओं के माध्यम से मजदूरों के कष्टों को समझने की कोशिश करते हैं।
जिस के कंधों पर बहुत बढा़
वह भारत मां का बेटा कौन।
जिसने पसीनो से भूमि को सांचा
वह भारत मां का बेटा कौन है।
वह किसी का गुलाम नहीं
अपने दम पर जीता हैं।
सफलता एक एक ही सही लेकिन है अनमोल जो मजदूर कहलाता है।
आप सभी को मेरे इस https://hindwatch.in/ की तरफ से मजदूर दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।