Biography of Ratan Tata : रतन टाटा एक प्रसिद्ध भारतीय उद्योगपति हैं। रतन टाटा ‘टाटा संस’ के चेयरमैन भी हैं । रतन टाटा सन 1991 से लेकर 2012 तक टाटा ग्रुप (Tata group) के अध्यक्ष भी रह चुके हैं । 28 दिसंबर 2012 को उन्होंने टाटा ग्रुप के अध्यक्ष पद को छोड़ दिए थे और अभी टाटा समूह के चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष बने हुए हैं।
टाटा ग्रुप (Tata group) के सभी प्रमुख कम्पनियों जैसे –
1. टाटा स्टील
2. टाटा मोटर्स
3. टाटा पावर
4. टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज
5. टाटा टी
6. टाटा केमिकल्स
इन सभी के अलावा रतन टाटा इंडियन होटल्स (Indian Hotels) और टाटा टेलीसर्विसेज (Tata teleservices) के भी अध्यक्ष रह चुके हैं। उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने नई ऊंचाइयों को छुआ और टाटा समूह (Tata Group)का स्वराज को भी कई गुना बढ़ा दिया और पूरे विश्व भर में प्रचलित है।
Biography of Ratan Tata : बिल फोर्ड ने किया था रतन टाटा को अपमान :–
असफलता का बदला लेने का सबसे बढ़िया रास्ता है आपका सफल होना। अगर आप असफलता से निराशा ना होकर उससे सबक लेना चाहते हैं तो आप रतन टाटा से अपनी प्रेरणा ले सकते हैं। भारत में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में क्रांति लाने का श्रेय रतन टाटा को दीया जाता है। रतन टाटा ने 90 के दशक में टाटा इंडिका लॉन्च की थी। शुरुआती दौर में इसे ऐतिहासिक उपलब्धि के तौर पर देखा गया था , लेकिन शुरुआत में (Biography of Ratan Tata) उससे वैसे नतीजे नहीं मिले, जैसी उम्मीद की गई थी।
रतन टाटा का ये एक ड्रीम प्रोजेक्ट था लेकिन शुरुआत में मार्केट में पकड़ बनाने में कामयाब नहीं हो पाई और बिक्री भी बहुत कम हुआ करती थी। कम बिक्री होने के कारण टाटा मोटर्स ने अपना कार डिविजन बेचने का फैसला किया था।
Biography of Ratan Tata : बिल फोर्ड के अपमान का बदला !
रतन टाटा ने साल 1999 में टाटा समूह कार बिजनेस फोर्ड को बेचना चाहते थे। रतन टाटा ने अपने टीम के साथ डेट्रॉइट गए और फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड और रतन टाटा दोनों की मुलाकात हुई और दोनों के बीच लगभग 3 घंटे की मीटिंग हुई लेकिन बिल फोर्ड ने रतन टाटा का बहुत ही अपमान किया।
रतन टाटा ने इस तरह लिया अपमान का बदला :–
बताया गया है कि (Biography of Ratan Tata) बिल फोर्ड ने रतन टाटा से कहा कि तुम्हे कुछ नहीं मालूम है और ना ही कुछ जानते हो। तुमने पैसेंजर कार डिविजन क्यों शुरू की? हम तुम्हारा कार डिविजन खरीदकर तुम पर बहुत एहसान कर रहे हैं। तुम्हे इस बात के लिए एहसान माननी चाहिए।
फोर्ड द्वारा किए गए इस अपमान के बाद रतन टाटा (Biography of Ratan Tata) को बेहद क्रोधित हुए। उसी रात रतन टाटा ने तय किया कि वह बिजनेस कार (Business Car) नहीं बेचेंगे और वह अपनी टीम के साथ फ्लाइट से मुंबई आ गए। उसके बाद उन्होंने पूरा ध्यान टाटा मोटर्स पर लगाया। कहते हैं ना असफलता सबसे बड़ी प्रेरणा होती है.
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आखिरकार 9 वर्ष बाद वो वक्त आ ही गया जब रतन टाटा (Biography of Ratan Tata) का दौर आ गया। वर्ष 2008 तक टाटा की कारें मार्केट में बिलकुल छा गई थीं। और फिर वर्ष 1999 में अमेरिका में रतन टाटा का हुए उस अपमान का बदला लेने का भी वक्त आ गया था।
उस वक्त फोर्ड का हाल काफी बुरा चल रहा था। फोर्ड की कारें बिक नहीं रही थीं। वर्ष 2008 में रतन टाटा ने 2.3 बिलियन डॉलर में फोर्ड को उसकी कारों का बिजनेस खरीदने का ऑफर दिया था।
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फोर्ड चेयरमैन ने रतन टाटा का शुक्रिया (thank-you) अदा करते हुए कहा, ‘आपने जगुआर और लैंड रोवर कारों का बिजनेस खरीदकर मुझ पर बहुत बड़ा एहसान किया है।’
रतन टाटा चाहते तो फोर्ड चेयरमैन का अपमान करके उनके द्वारा किए अपमान का बदला ले सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
रतन टाटा ने जगुआर (Biography of Ratan Tata) और लैंड रोवर को न सिर्फ खरीदा बल्कि उसे बेहद कामयाब वेंचर भी बनाया दिया।
फोर्ड के कारों का व्यवसाय खरीदने के कुछ ही वर्ष बाद रतन टाटा का ये सौदा बेहद फायदेमंद साबित हुआ और टाटा मोटर्स की सबसे ज्यादा बिकने वाली कारों में से एक बन चुकी थी। कहते हैं ना असफलता सबसे बड़ी प्रेरणा होती है।